बेशक जमीन,आसमान जिन,इन्सान और फरिश्ते सब एक दिन फना हो,जायेंगे सिर्फ अल्लाह तआला ही हमेशा से है और हमेशा रहेगा ।
दुनिया के फना होने से पहले कुछ निशानियाँ जाहिर होगी जैसे :()तीन खुसूफ होंगे मतलब यह कि आदमी ज़मीन में घैँस जायेंगे यह खुसूफ पूरब में दूसरा पिश्चम में और तीसरा अरब के जज़ीरे में। (2)दीन का इल्म उठ जायेगा मतलब आलिम उठा लिए आयेंगे। ऐसा भी नहीं कि आलिम बाकी रहें और उनके दिलों से इल़्म मिट जाये और ख़त्म हो जाये। (3)जिहालत बहुत बढ़ जायेगी मतलब दीन का इल्म रखने वाले बहुत कम हो जायेंगे | (4)जिना की ज़्यादती होगी और बेहयाई और बेशर्मी इतनी बढ़ जायेंगी बड़े छोटे का अदब लिहाज ख़त्म हो जायेगा। क् द (5)मर्द कम होंगे और औरतें इतनी ज़्यादा होंगी कि एक मर्द की मातह॒ती में पचास पचास औरतें होंगी | (6)उस बड़े दज्जाल के अलावा त्तीस और दज्जाल होंगे और यह सब नुबुत्वत का दावा करेंगे जबकि नुब॒ुव्वत ख़त्म हो चुकी है। उन नुबुब्बत के दावा करने वालों में से कुछ गुज़र चुके हैं जैसे मुसैलमा कज़्जाब तलीहा इब्ने खुबैलद असवद अंसी, सज्जाह(एक औरत जो बाद में इस्लाम ले आई)और गुलाम अहमद कादियानी के अलावा जाहिर हेंगे। ()माल बहुत ज़्यादा ही जायेगा यहाँ तक कि फुरात की नदी में से सोने के पहाड़ निकलेंगे। (8)अरब जैसे मुल्क में खेती बाग और नहरें हो जायेंगी। (9)/दीन पर काइम रहना इतना मुश्किल होगा जैसा कि मुठठी में अंगारा लेना मुश्किल है। यहाँ तक कि नेक और शरीफ आदमी कब्रिस्तान में जाकर तमन्ना करेगा कि काश मैं इस कब्र में होता। (0)वक्त में बरकत न होगी यहाँ तक कि एक साल महीने की तरह महीना हफ्ते की तरह हफ्ता दिन की तरह और दिन ऐसा हो जायेगा कि जैसा किसी चीज़ को आग लगी और जल्दी ही
बुझ गई। यानी बहुत जल्दी जल्दी वक्त गुजरेगा। (4१)लोगों पर ज़कात देना भारी होगा लोग ज़कात को तावान जुर्माना समझेंगे (2)कुछ लोग इल्मे दीन पढ़ेंगे लेकिन दीन के लिए नहीं बल्कि दुनिया के लिये | ((3)मर्द अपनी औरत का फुरमॉबरदार होगा | (44)औलादें अपने मेँ बाप की नाफरमानी करेंगी ।| ((5)लड़क॑ अपने दोस्तों से मेल जोल रखेंगे और मैं बाप से जुदा हो जायेंगे। (6)लोग मस्जिदों में दुनिया की बेकार बातें करेंगे और चिल्लायेंगे । (47)गाने बजाने की ज़्यादती होगी (48)लोग अगले लोगों पर लानत करेंगे। और उन्हें बुरा कहेंगे। (9)दरिन्दे जानवर आदमी से बात करेंगे। कोड़े की फुंची और जूते के फीते भी बात करेंगे। जब आदमी बाज़ार जायेगा तो जो कुछ उसके घर में हुआ होगा जूते के ,तस्मे उससे, बतायेंगे। यहाँ तक कि इन्सान की रान भी इन्सान को ख़बर देगी। | (20)जलील और गंवार लोग जिनको तन का कपड़ा और पाँव की जूतियाँ नसीब न थी बड़े बड़े महलों में गुरूर के साथ रहेंगे। के (24) दज्जाल का जाहिर होना :- दज्जाल चालीस दिन में (हरमैन शरीफैन क॑ अलाव) सारी दुनिया फिरेगा चालीस दिन में पहला दिन साल भर के बराबर होगा दूसरा दिन महीने भर के बराबर तीसरा दिन हफ्ते के बराबर और बाकी दिन चौबीस घन्टे के होंगे दज्जाल आँधी तूफान की तरह तेजी के साथ जैसे बादल को हवा उड़ाती हो सैर करेगा। उसका फितना बहुत सख्त होगा | उसके साथ एक आग होगी और एक बाग दज्जाल जहाँ. जायेगा. उसके साथ यह दोनों चीजें जायेंगी | आग को वह जहन्नम बतायेगा और बाग को जन्नत लेकिन जो देखने में आग होगी और जिसे जहन्नम समझा जायेगा वही हकीकत में आराम की जगह होगी और जो देखने में बाग होगा वह हकीकत में आग होगी
दज्जाल अपने- आप क़ो खुदा कहेगा जो उस पर ईमान लायेगा और उसे खुदा मान लेगा वह उसे अपनी जन्नत में डालेगा और जो उसे खुदा मानने से इन्कार करेगा उसको वह अपने जहन्नम में डाल देगा दज्जाल मुर्दे जिलायेगा ज़मीन उसके हुक्म से सब्जे. उगायेगी वह आसमान से पानी बरसायेगा लोगों के जानवर खूब लम्बे चौड़े तैयार और दूध वाले हो जायेंगे। और जब वह वीरान जंगलों में जायेगा तो शहद की मक्खियों की तरह दल के दल जमीन के खज़ाने उसके साथ हो जायेंगे इसी किस्म के वह बहुत से करतब और करिश्में दिखलायेगा लेकिन हकीकत में कुछ भी न होगा यह सब जादू और शैतानों के करश्मि और तमाशे होंगे इसलिए दज्जाल के वहाँ से जाते ही लागों के पास कुछ न रहेगा। दज्जाल जब हरमैन शरीफैन में जाना चाहेगा तो फरिश्ते उसका मुँह फेर देंगे! अलबत्ता मदीने शरीफ में तीन जलज़ले आयेंगे वहाँ के जो लोग ज़ाहिर में मुसलमान बने होंगे और दिल से काफिर होंगे और वह लोग जिनके बारे में अल्लाह जानता है कि वे दज्जाल पर ईमान लाकर काफिर होंगे वह सब लोग इन जलजलों के डर से शहर छोडकर भागेंगे और दज्जाल के फितने का शिकार होंगे दज्जाल के साथ यहूदियों की फौज होगी दज्जाल के माथे पर
काफ फो है यानी काफिर लिखा होगा यह लफ्ज सिर्फ गुसलमान ही पड सकेंगे किसी काफिर को नेजर न आयेंगे। ट
दज्जाल जब सारी दुनिया मे फिर फिरा कर मुल्के शाम में पहुँचेगा तो उस वक्त हजरत ईसा अलैहिस्सलाम आसमान से दमिश्क की जागे मसिज्द के पूर्वी मीनार पर सुद्ह के वक्त ऐसे वक्त पर उतरेंगे जब कि फज की नमाज़ के लिए तकबीर हो चुकी होगी हज़रते इमाम मेहदी भी उम्र जमाअत में मौजूद होंगे उन से हजरते ईसा अलैहिस्सलाम इमामत के लिए कहेंगे हज़रते इमाम मेहदी रदियल्लाहु तआला अन्हु नमाज पढ़ायेंगे।
उघर दज्जाल का हाल यह होगा कि वह हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की साँस की खुश्बू से पिघलना शुरू होगा जैसे पानी में नमक घुलता है और सौँंस को खुश्बू दूर दूर तक फैलेगी। दज्जाल भागता फिरेगा और हजरते ईसा अलैहिस्सलाम उसका पीछा करते हुए उसकी पीठ पर नेजा मारेंगे और उस जहन्नमी को मौत के घाट उतार देंगे। (22) हज॒रते ईसा अलैहिस्सलाम का दौर :-- अब हजरते ईसा अलैहिस्सलाम का दौर होगा। आपके जमाने में माल इतना ज़्यादा होगा कि अगर कोई किसी को कुछ देना चाहेगा तो वह लेने से इन्कार कर देगा।उस जमाने में दुश्मनीहसद और जलन नाम की कोई चीज न होगी। हजरते ईसा अलैहिस्सलाम खिंजीर को 'मार डालेंगे और सलीब को तोड़ देंगे। तमाम अहले किताब मतलब तौरात,जबूर,इन्जील और कुअआन शरीफ के मानने वाले जो दज्जाल के जुल्म से बच जायेंगे, वह हजरते ईसा अलैहिस्सलाम पर ईमान लायेंगे। सारी दुनिया में एक .ही दीन इस्लाम और एक ही मजहब मजहबे अहल-ए-सुन्नत'होगा बच्चे सौंप से खेलेंगे। शेर और बकरी एक साथ नजर आयेंगे हजरत ईसा अलैहिस्सलाम चालीस साल तक रहेंगे। यह निकाह करेंगे और उनकी औलाद भी होगी। वफात के बाद रोजए अनवर में दफन होंगे | :23) हजरते इमाम मेहदी का जाहिर होना :- हज़रते इमाम मेहदी रद्ियल्लाहु तआला अन्हु के जाहिर होने का वाकिआ यह है कि दुनिया में जब सब जगह से इस्लाम सिमट कर मक्के मदीने में पहुँच जायेगा। उस वक्त सारे अबदाल और औलिया हिजरत कर के वहीं पहुँच जायेंगे। सारी जमीन कब्रिस्तान होगी । रमजान शरीफ का महीना होगा। अबदाल काबे का तृवाफ करते होंगे |हजरते इमाम मेहदी भी वहीं होंगे। औलिया उन्हें पहचान कर उनसे बैअत -के लिए कहेंगे। वह इन्कार करेंगे। अचानक गैब से यह आवाज आयेगी कि
तर्जमा :- “यह अल्लाह के खलीफा मेहदी हैं इनकी बात सुनो और इनका हुक्म मानो।" तमाम लोग उनके हाथों पर बैअत करेंगे और वहाँ से सब को अपने साथ लेकर
को तशरीफ ले जायेंगे दज्जाल के कत्ल के ब्राद अल्लाह तआला लिए हुक्म होगा कि मुसलमानों को कोहे तूर (एक पहाड़ का नाम ऐसे लोग जाहिर होंगे जिनसे लड़ने की किसी में ताकत न होगी (24) याजूज माजूज का निकलना :- जब हजरते ईसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के हुक्म से
मुसलमानों को कोहे तूर पर ले जायेंगे तो याजूज माजूज निकलेंगे यह इतने ज़्यादा होंगे कि दस मील की एक नदी या झील 'बूहैरये तबरीय्या'पर से जब उनकी पहली जमाअत गुज़रेगी तो जमाअत के लोग उस नदी या ज्ञील का पानी पीकर इस तरह सुखा देंगे कि बाद में आने वाली दूसरी जमाअत यह कहेगी कि यहाँ कभी पानी था।
यह याजूज माजूज जब दुनिया में कृत्ल और गारत से फुरसत पायेंगे तो कहेंगे कि ज़मीन वालों को तो कृत्ल कर चुके अब आसमान वालों को भी कत्ल किया जाये। यह कह कर वे अपने तीर आसमान की तरफ फेकेंगे। अल्लाह की कुदरत से उनके तीर खून में लिथड़े हुए गिरेंगे यह अपनी इन्ही हरकतों में मशयूल होंगे और वहाँ पहाड़ पर हज़रते ईसा अलैहिस्सलाम अपने साथियों के साथ घिरे हुए होंगे। यहाँ तक कि उन के नज़्दीक गाय के सर की वह हैसियत होगी जो आज तुम्हारे नज़्दीक सौ अशरफियों की नहीं उस वक्त हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम अपने साथियों के साथ दुआ फरमायेंगे अल्लाह तआला उन की गर्दनों में कोड़े पैदा कर देगा कि एक दम में वह सब मर जायेंगे याजूज माजूज के मरने के बाद जब पहाड़ से उतरेंगे तो सारी ज़मीन पर उन्हें याजूज माजूज की सड़ी हुई इतनी लाशें मिलेंगी कि एक बालिश्त ज़मीन भी ख़ाली नहीं मिलेगी! फिर हजरते ईसा अलैहिस्सलाम और उनके साथियों की दुआओं से अल्लाह तआला कुछ परिन्दे भेज देगा जो उन की लाशों को जहाँ अल्लाह चाहेगा फेंक आयेंगे और उन के तीर व कमान व तर्कश को मुसलमान सात साल तक जलायेंगे। फिर ऐसी बारिश होयी कि ज़मीन को हमवार कर छोड़ेगी जिस से फल पैदा होंगे अल्लाह के हुक्म से ज़मीन और आसमान से इतनी बरकत नाज़िल होगी कि एक अनार से जमाअत का पेट भर जायेगा और उसके छिलके के साये में दस आदमी बैठ सकेंगे दूध में इतनी बरकत होगी कि एक ऊँटनी का दूध एक जमाअत कि लिए एक गाय का दूध कबीले क॑ लिए और एक बकरी का दूध एक खानदान के लिए काफी होगा (25) उसके ब्राद एक ऐसा वक़्त आयेंगा कि अल्लाह के हुक्म से ऐसा धुआँ जाहिर होगा कि जमीन से आसमान तक अँधेरा ही अंधेरा होगा (26) दाब्बतुल अर्द का निकलना :- दाब्बतुल अर्द्व एक ऐसा जानवर होगा जिसके हाथ में हज़रते मूसा अलैहिस्सलाम ,का असा(लाठी)र हज़रते सुलैमान अलैहिस्सलाम की अँगूठी होगी वह उस असे से हर मुसलमान की पेशनी पर एक नूरानी निशान बनोयेगा और अगूठी से हर काफिर के माथ पर एक बहुत काला धब्बा बनायेगा उस वक़्त सारे मुसलमान और काफिर साफ जाहिर होंगे मुसलमानों और काफिरों की यह निशानियँ। कभी न बदलेंगी। जो काफिर है वह कभी ईमान न लायेगा और जो मोमिन है हमेशा ईमान पर काइम रहेगा। क् (27) सूरज का परश्चिंम से निकलना :- इस निशानी के जाहिर होते ही तौबा का दरवाजा बन्द हो जायेगा। अगर उस वक्त कोई इस्लाम कबूल करना चाहे तो उस का इस्लाम कबूल नहीं किया जायेगा। (28) हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की वफात के एक ज़माने के बाद जब कियामत कायम होने को सिर्फ चालीस साल बाकी रह जायेंगे तो एक खुश्बूदार ठंडी हवा चलेगी जो लोगों की बगलों से
गुजरेगी जिसका नतीजा यह होगा कि मुसलमानों की रूह्ठ कब्श हो जायेगी और काफिर ही काफि, रह जायेंगे और उन्हीं पर कयामत काइम होगी। यह कुछ निशानिया थीं जो बयान की गई इनमे रे कुछ तो जाहिर हो चुकीं और कुछ बाकी हैं। जंब सारी निशानियाँ पूरी हो जायेंगी और उसलम॥ की बगलों के बीच से वह खुश्बूदार हवा गुज़र लेगी जिस से सारे मुलसमान वात पायेंगे तो उस बाद फिर चालीस साल का-जमाना ऐसा गुज़रेगा कि उसमें किसी की औलाद न होगी। मतलब २ कि चालीस साल से कम उम्र का कोई न होगा। वह एक ऐसा वक़्त होगा कि हर तरफ काफिर ६ काफिर होंगे और अल्लाह कहने वाला कोई न॑ होगा। लोग अपने अपने कामों में लगे होंगे कि अचानक हजरते इस्राफील अलेहिस्सलाम शू फँकेंगे। पहले पहले उसकी आवाज़ बहुत धीमी होगी फिर धीरे धीरे बहुत ऊँची हो जायेगी। लो। कान लगा कर उसकी आवाज सुनेंगे और बेहोश होकर गिरेंगे और फिर मर जायेंगे। आसमान,जमी; पहाड़,चौँंद सूरज,सितारे सूर,इस्राफील और तमाम फरिश्तै फना हो जायेंगे।उस वक्त सिवा छ खुदाये जुलजलाल के कोई न होगा। उस वक़्त वह पूरे जलाल के साथ फरमायेगा। कि :८; ७ -+- मम ऐर्जमा :-- आज किस की बादशाहत है, कहँँ हैं वह जाबिर और कहूँ है मुतकब्बिर मगर है कौन जो जवाब दे फिर खुद ही फरमायेगा कि५ ६5. >,-4--.)]तर्जजा :- सिर्फ अल्लाह वाहिद कुहृहार की सलतनत है फिर जब अल्लाह तआला चाहैमा इस्राफील अलैहिस्सलाम जिन्दा किये जायेंगे और सूर को ऐै करके दोबारा फुँकने का हुक्म देगा। सूर फूँक्ते ही तमाम पहले और ब्राद वाले इन्सान, जिन््नात हैवानात फरिश्ते मौजूद हो जायेंगे। सबसे पहले नबियों के सरदार,अल्लाह के महबूबःहम सब के आका व मौला हज़रत मुहम; सल्लल्लाहु अलैहि वसललम अपनी कब्रे मुबारक से इस शान से निकलेंगे कि उनके दाहिने हाथ 7 पहले खलीफा हज़रते अबूबक का हाथ और .बायें हाथ में दूसरे खलीफा हजरते उमर फारुह रद्वियललाहु अन्हुमा का हाथ होगा। फिर मक्का शरीफ और मदीना शरीफ की कब्नों में जितने ४ मुसलमान दफन हैं सबको अपने साथ लेकर हश्न के मैदान में तशरीफ ले जायेंगे | अकीदा :- कयामत बेशक काइम होगी और इसका इन्कार करने वाला काफिर है | अकीदा :- हश्न सिर्फ रूह का ही नहीं होगा बल्कि रूह और जिस्म दोनों का होगा। अगर कोई या कहे कि रुह्ें उठेंगी और जिस्म जिन्दा नहीं होंगे तो वह भी गुमराह और बद्दीन है। दुनिया में फ॑ रूह जिस जिस्म के साथ थी उस रूह का हश्न उसी जिस्म के साथ होगा। ऐसा नहीं होगा हि कोई नया जिस्म पैदा कर के उसके साथ रूह लगा दी जाये। अकीदा : - जिस्म के टुकड़े अगरचे मरने के बाद अलग अलग हो गये हों या उन्हें जानवर छ गये हों अल्लाह तआला जिस्म के उन तैमाम टुकड़ों को इकट्ठा कर के कियामत के दिन उठायेगा कियामत के दिन लोग अपनी अपनी वक्रों से नंगे बदन नंगे पाँव उठेंगे और वह लोग ऐसे हों! कि उनकी ख़तना न हुई होगी। कोई सवार होगा कोई पैदल | कुछ अकेले सवार होंगे और किए सवारी पर दो किसी पर तीन किसी पर चार और किसी पर दस सवार होंगे। काफिर मुँह के ढ
चलते चलते मैदाने हश्न में जायेंगे। किसी को फ़रिश्ते घसीट कर ले जायेंगे। किसी को आग घेर कर लायेगी। यह हश्न का मैदान मुल्के शाम की ज़मीन पर काइम होगा। जमीन ताँबे की होगी और इतनी चिकनी और बराबर होगी कि एक किनारे पर राई का दाना गिर जाये ते दूसरे किनारे से साफ दिखाई देगा। उस दिन सूरज एक मील की दूरी पर होगा। इस हदीस के रिवायत करने वाले कहते हैं कि पता नहीं मील का मतलब सुर्मे की सलाई है या रास्ते की दूरी है।अगर रास्ते की दूरी भी मान ली जाये तो भी सूरज बहुत करीब. होगा। क्यों कि अब सूरज की दूरी चार हज़ार साल सफर की दूरी है और हमारी दुनिया की तरफ सूरज की पीठ है तो फिर भी जब सूरज सामने आ जाता है तो घर से निकलना दूभर हो जाता है लेकिन जब सूरज एक मील की दूरी पर होगा और सूरज का मुँह हमारी तरफ होगा तो आग और गर्मी का क्या हाल होगा। और अब तो मिट्टी की जमीन है तो पैरों में छाले पड़ते हैं तो उस वक़्त जब ताँबे की ज़मीन होगी और सूरज करीब होगा। तो उस गर्मी का कौन अन्दाज़ा कर सकता है! अल्लाह पनाह में रखे । उस वक़्त हाल यह होगा कि सर के भेज़े खौलते होंगे और इतना ज़्यादा पसीना निकलेगा कि... पसीने को ज़मीन सत्तर गज़ तक सोख लेगी। फिर जो पसीना ज़मीन न पी सकेगी वह पसीना जमीन के ऊपर चढ़ते चढ़ते किसी के टख़नों,किसी के घुटनों,किसी की कमर,किसी के सीने और किसी के गले तक पहुँच जायेगा और काफिर के मुँह तक पहुँच कर लगाम की तरह जकड़ लेगा जिस में वह डुबकियाँ खायेगे। इस गर्मी में प्यास का यह हाल होगा कि जुबानें सूख कर काटा हो जायेंगी। और मुँह से बाहर निकल आयेंगी। दिल उबल कर गले को-आ जायेंगे। हर एक- को उसके गुनाह के मुताबिक सजा मिलेगी। जिसने चाँदी सोने की ज़कात न दी होगी उस माल को गर्म कर के उसकी करवट,पेशानी और पीठ पर दाग दिया जायेगां। जिसने जानवर की ज॒कात न दी होगी उसके जानवर कियामत के दिन खूब मोटे ताज़े होकर आयेंगे और उस आदमी को वहीँ लिटा कर वह जानवर अपने सींग झे मारते और अपने पैरों से रौंदते हुए उस पर से उस वक्त तक गुजरते रहेंगे जब तक कि लोगों का ट्विसाब खत्म हो। इसी तरह और दूसरी सज़ायें होंगी। फिर यह कि इन मुसीबतों में कोई एक दूसरे का पूछने वाला न होगा भाई से भाई भागता दिखाई देगा। मां। बाप औलाद से पीछा छुड़ायेंगे अलग बीवी बच्चे अलग जान चुरायेंगे। हर एक अपनी मुसीबत में. गिरफ़्तार होगा। कोई किसी का मददगार न होगा। उस वक्त हज़रते आदम अलैहिसलाम को हुक्म होगा कि वह दोजखियों की जमाअत अलग करें। वह पूछेंगे कि कितने में से कितनों को अलग करूँ? अल्लाह फ्रमायेगा कि हर हज़ार से नौ सौ निन्नानवे | यह वह वक़्त होगा कि बच्चे गम के मारे बूढ़े हो जायेंगे। हमल वाली औरत का हमल गिर. जायेगा। लोग ऐसे दिखाई देंगे कि जैसे नशे में हों हालाँकि नशा में न होंगे। अल्लाह तआला का अज़ाब बहुत सख्त होगा। और लोगों को हज़ारों मुसीबतों का सामना होगा। और यह मुसीबतें दो चार दिन या दो चार महीनों की नहीं होंगी। बल्कि कियामत का दिन पचास हजार बरस का होगा।