Surah Kausar Translation In Hindi | सूरह कौसर और उसका तर्जुमा

Surah Kausar Translation In Hindi | सूरह कौसर और उसका तर्जुमा

 

सूरह कौसर मक्का में नाजिल हुई इसमें तीन आयतें हैं  

दोस्तों ! सूरह लहब ( Soorah Kausar In Hindi ) आपने नमाज़ में या तिलावत के वक़्त खूब पढ़ी होगी लेकिन क्या आप ने कभी जानने की कोशिश की कि इसमें पैग़ाम क्या है और ये कब नाजिल हुई तो आप को ये जानना चाहिए कि अल्लाह ने इस में क्या नाजिल किया है  

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Hindi Me  

1.इन्ना आतय नाकल कौसर  

2.फसल्लि लिरब्बिका वन्हर  

3.इन्ना शानिअका हुवल अब्तर  

   

English  

1. Inna Aatayna kal Kausar  

2.Fasalli Lirabbika Wanhar  

3.Inna Shaniaka Huwal Abtar  

   

Translation | तर्जुमा   

1.बेशक हमने आपको कौसर अत फरमाई  

2.तो आप अपने परवरदिगार के लिए नमाज़ पढ़ा कीजिये और क़ुरबानी किया कीजिये  

3.यकीनन आपका दुश्मन ही बे नामो निशान रहेगा  

   

तफसीर सूरह कौसर   

नबी पाक सल्लाल लाहू अलैहि वसल्लम की बीवी हज़रत खदीजा र.अ. से चार बेटियां और दो बेटे पैदा हुए ,बेटियां तो जिंदा रहीं लेकिन दोनों साहबजादे जिनका नाम कासिम और दुसरे का नाम अब्दुल्ला था बचपन में ही वफात पा गए फिर मदनी ज़िन्दगी में आपकी बांदी हज़रत मारिया किब्तिया से हज़रत इब्राहीम पैदा हुए वो भी बचपन में वफात पा गए |  

   

बेटों के बाकी न रहने में गालिबन अल्लाह की ये हिकमत थी कि आम तौर से एक पैगम्बर के बाद उसकी औलाद को पैगम्बरी से नवाज़ा जाता था जबकि रसूलुल लाह सल्लाल लाहू अलैहि वसल्लम पर नबियों का सिलसिला ख़त्म हो चूका है तो अगर बेटे जिंदा रहते तो तो लोगों को ग़लतफ़हमी हो सकती थी और जिन लोगों के दिलों में इफरात व ताफरीत थी वो इस किस्म का मसला खड़ा कर सकते थे इसलिए अल्लाह की तरफ से ही बेटों में से कोई औलाद बाकी नहीं रखी गयी  

   

यह सूरह कब नाजिल हुई   

   

जिस शख्स का बेबी बॉय ( लड़का ) अगर जिंदा न रहे तो अरब के लोग उसे “ अब्तर ” कहा करते थे और ये गुमान रखते थे कि मरने के बाद ये शख्स बे नामोनिशान रह जाता है और कोई उसका नाम लेवा नहीं होता इसलिए जब नबी पाक के दो साहबज़ादों का इन्तेकाल हुआ तो मक्का के मुशरिकीन में ख़ुशी की लहर दौड़ गयी तभी ये सूरत नाजिल हुई  

Surah Fatiha Hindi Translation | सूरह फातिहा तर्जुमे के साथ | Hindi  

इस सूरह में दो खुश खबरियां और दो अहकाम हैं  

   

पहली खुशखबरी   

अल्लाह की तरफ से पहली खुशखबरी ये है की हम ने आप को कौसर अता किया कौसर के असल मानी कसीर शय ( बहुत ज्यादा चीज़ ) के हैं लेकिन यहाँ हज़रत अनस र.अ. की रिवायत है कि कौसर जन्नत की एक नहर है | एक बात जो कौसर के सिलसिले में आई है कि वो एक हौज़ होगा जिस पर रसूल स.अ. की उम्मत आयेगी और उसमें पानी लेने के बर्तन सितारों की तादाद में होंगे |  

   

दूसरी खुशखबरी  

दूसरी खुशखबरी ये है कि इस्लाम के दुश्मन कहते हैं कि आप का नामोनिशान मिट जायेगा लेकिन हकीकत ये है कि आप का नामोनिशान क़यामत तक बाकी रहेगा हाँ आपके दुश्मनों के नाम मिट जायेंगे |  

आज इस हकीकत को देखा जा सकता है कि दिन और रात का कोई ऐसा लम्हा नहीं जिसमें ईमान वाले नबी स.अ. पर दुरूदो सलाम न भेज रहे हों और आप के पैगम्बर होने की गवाही न दे रहे हों , आज दुनिया के एक अरब से ज्यादा इंसानों के लिए सब से ज्यादा महबूब और प्यारा नाम मुहम्मद स.अ. का नाम है |  

अगर उन लोगों को जोड़ा जाये जिन के नाम “मुहम्मद” और “अहमद” रखे गए हैं तो उनकी तादाद कई करोड़ हो जाएगी लेकिन आज कोई शख्स अपनी औलाद का नाम “अबू लहब” ,”उत्बा” के नाम पर नहीं रखता अगर इनके नाम लिए भी जाते हैं तो नापसंदीदा नाम की हय्सियत से और वो भी नबी की ही निस्बत से |  

दो बातों का हुक्म  

और दो बातों का हुक्म दिया गया है  

पहला हुक्म नमाज़   

अब या तो इससे तमाम फ़र्ज़ नमाज़ें मुराद हैं या इसका मतलब नमाज़े इदुल अज़हा है  

दूसरा हुक्म क़ुरबानी  

नहर असल में तो ऊँट के ज़बह करने को कहते हैं लेकिन बाज़ औकात हर जानवर के ज़बह करने को नहर से ही ताबीर करते हैं  

अल्लाह ने इन अहकाम के ज़रिये इस हकीकत की तरफ इशारा किया है कि दुश्मन से निजात पाने और और उनके मंसूबों को नाकाम बनाने का गैबी नुस्खा नमाज़ और कुरबानी है 


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