*Bismillahhirrahmanirraheem*
*قُلْ يَا عِبَادِيَ الَّذِينَ أَسْرَفُوا عَلَىٰ أَنفُسِهِمْ لَا تَقْنَطُوا مِن رَّحْمَةِ اللَّهِ ۚ إِنَّ اللَّهَ يَغْفِرُ الذُّنُوبَ جَمِيعًا ۚ إِنَّهُ هُوَ الْغَفُورُ الرَّحِيمُ *
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✦ : Al Quran: Kah do ! Eh Mere Bando jinhone apni Jaano par Zulm kiya hai Allah Subhanahu ki Rahmat se mayus na ho beshak Allah Subhanahu sab Gunah bakhsh dega beshak Wo bakhshne wala Raham wala hai
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کہہ دو ! اے میرے بندوں جنہوں نے اپنی جانوں پر ظلم کیا ہے الله کی رحمت سے مایوس نہ ہو بے شک الله سب گناہ بخش دے گا بے شک وہ بخشنے والا رحم والا ہے
سورة الزمر ۳۹: ۵۳
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✦ : अल क़ुरआन: कह दो ! एह मेरे बन्दों जिन्होंने अपने जानों पर ज़ुल्म किया है अल्लाह सुबहानहू की रहमत से मायूस ना हो बेशक अल्लाह सुबहानहू सब गुनाह बख़्श देगा बेशक वो बख़्शने वाला रहम वाला है
सुराह अज़-ज़ुमर 39: 53
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✦ :Al Quran : Say, O My servants who have transgressed against themselves [by sinning], do not despair of the mercy of Allah. Indeed, Allah forgives all sins. Indeed, it is He who is the Forgiving, the Merciful.
*Surah Az-Zumar 39: 53
बुरैदा असलमी (रज़ि०) से रिवायत है कि नबी (सल्ल०) ने एक शख़्स को इन कलिमात के साथ (اللهم إني أسألك بأني أشهد أنك أنت الله لا إله إلا أنت الأحد الصمد الذي لم يلد ولم يولد ولم يكن له كفوا أحد) 'ऐ अल्लाह! मैं तुझसे माँगता हूँ इस तौर कि मैं तुझे गवाह बनाता हूँ इस बात पर कि तू ही अल्लाह है। तेरे सिवा कोई माबूदे-बर-हक़ नहीं है। तू अकेला (माबूद) है। तू बेनियाज़ है। (तू किसी का मोहताज नहीं तेरे सब मोहताज हैं) (तू ऐसा बेनियाज़ है) जिसने न किसी को जना है और न ही किसी ने उसे जना है और न ही कोई उसका साथी हुआ है,' दुआ करते हुए सुना तो फ़रमाया: क़सम है उस रब की जिसके क़ब्ज़े में मेरी जान है! उस शख़्स ने अल्लाह से उसके सबसे बड़े नाम के वसीले से माँगा है कि जब भी उसके ज़रिए दुआ की गई है उसने वो दुआ क़बूल की है और जब भी उसके ज़रिए कोई चीज़ माँगी गई है उसने दी है। ज़ैद (रावी) कहते हैं: मैंने ये हदीस कई बरसों बाद ज़ुहैर-बिन-मुआविया से ज़िक्र की तो उन्होंने कहा कि मुझसे ये हदीस अबू-इस्हाक़ ने मालिक-बिन-मिग़वल के वास्ते से बयान की है। ज़ैद कहते हैं: फिर मैंने ये हदीस सुफ़ियान सौरी से ज़िक्र की तो उन्होंने ये हदीस